गुरुवार, जनवरी 26, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 13 : दिल सँभल जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू...

वार्षिक संगीतमाला की अगली तीन पॉयदानों की खासियत है कि उन पर विराजमान गीत न केवल बेहद सुरीले हैं पर रूमानियत के अहसास से लबरेज भी। ये गीत ऐसे हैं जिनकी धुन अगर आप एक बार भी सुन लें तो उसे गुनगुनाने के लोभ से आप अपने आप को शायद ही ज्यादा देर तक दूर रख पाएँ। इसी कड़ी में आज आपके सामने है युवा संगीतकार मिथुन शर्मा का संगीतबद्ध मर्डर 2 का ये नग्मा। 


वार्षिक संगीतमालाओं में पहले भी तीन दफ़े शिरक़त करने वाले 26 वर्षीय मिथुन ने ग्यारह साल की उम्र से नामी संगीत संयोजक नरेंद्र शर्मा (जो उनके पिता भी हैं) से संगीत सीखना शुरु किया था। बाद में उन्होंने पियानो और की बोर्ड की भी शिक्षा ली। हिंदी फिल्मों की दुनिया में 'बस एक पल' से शुरुआत करने वाले मिथुन अनवर, दि ट्रेन. लमहा जैसी चर्चित फिल्मों में संगीतनिर्देशन कर चुके हैं। मर्डर 2 के इस गीत में मिथुन का साथ दिया है गीतकार सईद क़ादरी और युवा गायक मोहम्मद इरफ़ान ने।


मिथुन के समव्यस्क हैदराबाद से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद इरफ़ान अली को भी कमल खान की तरह ही रियालटी शो की पैदाइश माना जा सकता है। वैसे तो इरफ़ान एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं पर अमूल स्टार वॉयस आफ इंडिया 2007 के प्रतिभागी के तौर पर उन्हें पहली बार संगीतप्रेमियों के बीच बतौर गायक की पहचान मिली। उस प्रतियोगिता में तो इरफ़ान सफ़ल नहीं हुए पर गायिकी की दुनिया में प्रवेश करने के लिए वे पूरी मेहनत के साथ लग गए।

एक कार्यक्रम में एस पी बालासुब्रमणियम उनके गायन से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने वादा किया कि वे रहमान से उनकी गायिकी की चर्चा करेंगे। इरफ़ान बताते हैं कि इस कार्यक्रम के डेढ़ साल बाद एक दिन सचमुच रहमान साहब का फोन आ गया और इस तरह उनकी आवाज़ फिल्म रावण के चर्चित गीत बहने दे... का हिस्सा बन गई। इरफ़ान की आवाज़ की बनावट या texture बहुत कुछ आज के लोकप्रिय पाकिस्तानी गायकों से मिलता है। इस बात का अंदाजा आपको इस गीत को सुनने से मिल जाएगा।

गीत की शुरुआत गिटार की मधुर धुन से होती है जिसमें मन रम रहा होता ही है कि इरफ़ान की आवाज़ गूँजती सी कानों में पड़ती है।

जब जब तेरे पास मै आया इक सुकून मिला
जिसे मैं था भूलता आया वो वज़ूद मिला
जब आए मौसम ग़म के तुझे याद किया
जब सहमे तनहापन से तुझे याद किया
दिल सँभल जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू
दिल यहीं रुक जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू


मिथुन ने गिटार के संयोजन में गीत का मुखड़ा बड़ी खूबसूरती से रचा है और जब इरफ़ान गीत की पंच लाइन दिल सँभल जा ज़रा, फिर मोहब्बत करने चला है तू तक पहुँचते हैं, सँभला हुआ दिल भी गीत के आकर्षण में होश खो बैठता है। मिथुन के इंटरल्यूड्स शानदार हैं। अंतरों में सईद क़ादरी के बोल और बेहतर हो सकते थे पर मिथुन का संगीत और इरफ़ान की गायिकी इस कमी को महसूस होने नहीं देती। तो आइए सुनते हैं ये गीत जिसे फिल्माया गया है इमरान हाशमी पर..




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5 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय on जनवरी 26, 2012 ने कहा…

बड़ी ही कर्णप्रिय धुन है इस गीत की..

विवेक रस्तोगी on जनवरी 27, 2012 ने कहा…

अच्छा लगता है यह गीत

Amita Maurya on जनवरी 27, 2012 ने कहा…

one of my fav ....

DrSagar Jnu on जनवरी 29, 2012 ने कहा…

gr8........

Manish Kumar on जनवरी 29, 2012 ने कहा…

प्रवीण, विवेक, सागर, अमिता गीत पसंद कने के लिए शुक्रिया। सुनने के बाद भी गिटार की धुन गीत के मुखड़े के साथ दिमाग में घूमती रहती है।

 

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