शुक्रवार, जनवरी 13, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 18 : तेरी सीमाएँ..जब गुलज़ार और श्रेया ने घोला उदासी का रंग..

रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास नौका डूबी से प्रेरित हिंदी और बंगाली फिल्म जगत में कई बार फिल्में बन चुकी हैं। इसी सिलसिले को इस बार और आगे बढ़ाया रितुपर्णा घोष ने। बंगाली में ये फिल्म पिछले साल जनवरी महिने में आई। पर हिंदी के दर्शकों के लिए मई महिने में कशमकश के नाम से प्रदर्शित हुई। फिल्म का बँगला रूप तो दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया पर हिंदी में ये फिल्म कब आई और कब गई इसका पता ही नहीं चला।

ऐसे में इस फिल्म का संगीत आप तक पहुँचा होगा इसमें मुझे शक है। फिल्म के गीतों को गुलज़ार ने लिखा है और संगीतबद्ध किया है राजा नारायण देव और संजय दास ने। राजा साहब के इतने भारी भरकम नाम से ये ना समझ लीजिएगा कि उम्र में भी वो इतने ही दीर्घ होंगे। कोलकाता में रहने वाले राजा ने 1998 में अर्थशास्त्र से स्नातक की डिग्री ली है। इन युवा संगीतकारों ने इस पीरियड फिल्म के गीतों की प्रकृति के हिसाब से ऐसा संगीत दिया हैं जिसमें मधुरता के साथ एक तरह का ठहराव है। गीत के अर्थपूर्ण बोलों पर उनका संगीत हावी नहीं होता बल्कि पार्श्व से शब्दों के बहाव को सिर्फ दिशा प्रदान करता है।

फिल्म के बँगला संस्करण में लिखे गीत ख़ुद टैगोर के रचित हैं। ऍसा लगता है कि गुलज़ार ने टैगोर के शब्दों से हिंदी अनुवाद करते समय उसमें अपनी शैली के अनुरूप ज्यादा बदलाव नहीं किया । इस तरह के गीतों की धुन बनाना और उसे गाना आसान नहीं। गीत वियोग में डूबी नायिका का आत्मालाप है और श्रेया घोषाल ने उन भावनाओं को अपनी आवाज़ में बखूबी ढाला है।  गीत में जो उदासी का रंग है वो एक बार में आपके दिल तक नहीं पहुँचता। ये गीत मेरे लिए वैसे गीतों में है जो धीरे धीरे दिल में जगह बनाते हैं। तो आईए सुनते हैं श्रेया को इस गीत में।

तेरी सीमाएँ कोई नहीं है
बहते जाना बहते जाना है
दर्द ही दर्द है
सहते रहना सहते जाना है

तेरे होते दर्द नहीं था
दिन का चेहरा ज़र्द नहीं था
तुझसे रूठ के मरते रहना
मरते रहना है...
तेरी सीमाएँ कोई नहीं है...

मैं आधी अधूरी बैठी किनारे
नदिया नदिया आँसू आँसू रोना
बातों पे रोना नैनों की जबानी
रात दिन कहते रहना है
आग अंदर की कोई ना देखे
पलक झपकते तुम जो देखो
तुझको पाना तुझको छूना
मुक्ति का पाना है
तेरी सीमाएँ कोई नहीं है



वैसे श्रेया, गुलज़ार और राजा संजय की इस तिकड़ी के बारे में कुछ और बातें भी करनी है आपसे। पर फिलहाल उस चर्चा को स्थगित रखना होगा अंतिम दस गानों की फेरहिस्त तक पहुँवने तक क्यूँकि वहाँ इस फिल्म का एक और मधुर गीत हमारी प्रतीक्षा में है।
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12 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय on जनवरी 13, 2012 ने कहा…

पहली बार सुना, बहुत अच्छा लगा।

habib on जनवरी 13, 2012 ने कहा…

jnaaab...bahut khubsusrat ...geet haiiiii....


mane movie dekhii aur song b sune ..itna gehra music hai ..k sacchi me banda duub jaata hai ..!!! koi kami ni lagii mujhe..!!!

bht khubsurat

Mamta Prasad on जनवरी 14, 2012 ने कहा…

First time listening this... such a touching song.. thanx for sharing.

***Punam*** on जनवरी 14, 2012 ने कहा…

just superb.....
melodious,meaningful...

Deepak Karthik on जनवरी 14, 2012 ने कहा…

first timer ;0
hmmm listening :)
Deepak

Prashant Suhano on जनवरी 14, 2012 ने कहा…

मैनें भी पहली बार ही सुना है... बहुत पसंद आया..
बंगला संस्करण के गीत भी सुनने की इच्छा है, क्या आप उस फिल्म का नाम बताएंगे प्लीज..

Manish Kumar on जनवरी 14, 2012 ने कहा…

प्रशांत बँगला में फिल्म का नाम नौका डूबी ही है यू ट्यूप पर गीत का बंगाली वर्सन उपलब्ध है। तुम उसे यहाँ सुन सकते हो।
http://www.youtube.com/watch?v=r8HydmzCIhU

Prashant Suhano on जनवरी 15, 2012 ने कहा…

धन्यवाद.. Manish ji...

Shilpa Kulkarni on जनवरी 16, 2012 ने कहा…

is gane ne derd ko ek khoobsuret ehsaas bana diya.....

suparna ने कहा…

thanks for this one Manish, i somehow missed catching up on the album when it released. have been looping the song since you posted it, very beautiful stuff. have realised over the years that the genes do play somewhere i guess, and i do have a thing for rabindrasangeet ;)

Manish Kumar on जनवरी 18, 2012 ने कहा…

"have realised over the years that the genes do play somewhere i guess,

:) :)...

and i do have a thing for rabindrasangeet ;).."
Now that I know.will talk to u later about nuances of Rabindra Sangeet. Thx in advance :)

suparna ने कहा…

hehe will be glad to, but i'll have to thank you rather than the other way around. as of now, i can only listen (to the music and to what you have to say), i dont 'know' anything about the nuances yet.

 

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