मंगलवार, फ़रवरी 21, 2012

वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 4 : रात मुझे ये कहकर चिढ़ाए, तारों से भरी मैं तू है अकेली हाए !

दोस्तों, वार्षिक संगीतमाला के इस मुकाम पर अब साल के सरताज गीत से महज़ तीन गीतों का फ़ासला रह गया है। गीतमाला की चौथी पॉयदान पर पेश है एक ऐसा नग्मा जिसके मुखड़े की काव्यात्मकता दिल को छू जाती है। क्या आप यकीन करेंगे कि एक बार सुन कर ही सम्मोहित करने वाले इस गीत के गीतकार ने अपनी पेशेवर ज़िंदगी की शुरुआत 'अपराध पत्रकारिता' से की थी ? जी हाँ, फिल्म 'साहब बीवी और गैंगस्टर' के इस रूमानी नग्मे को लिखा है संदीप नाथ ने।

उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद में अपना बचपन और फिर मुरादाबाद और बिजनौर से आगे की पढ़ाई करने वाले संदीप नाथ को कविता करने का चस्का मात्र बारह साल की उम्र से ही लग गया था। मुंबई फिल्म जगत के लिए संदीप नाथ कोई नया नाम नहीं हैं। एक मध्यमवर्गीय बंगाली परिवार से ताल्लुक रखने वाले संदीप जब एक दशक पूर्व  मुंबई पहुँचे तो अपने मित्र की बदौलत उन्हें विज्ञापन के जिंगल को लिखने का मौका मिला। बतौर गीतकार वर्ष 2003 से फिल्म 'भूत' से शुरु हुआ उनका सफ़र 'पेज 3','सरकार','साँवरिया', 'फैशन' और अब 'साहब बीवी और गैंगस्टर' तक जा पहुँचा है। 

संदीप एक गीतकार होने के साथ साथ एक पटकथा लेखक भी हैं। उन्होंने कविताओं के आलावा ग़ज़लें भी लिखी हैं। 'मुझे कुछ भी नाम दो' और 'दर्पण अब भी अंधा है' के नाम से उनकी किताबें प्रकाशित भी हुई हैं। अपराध पत्रकारिता ने उन्हें अपने शुरुआती दिनों में एक आर्थिक अवलंब दिया जिसकी वज़ह से उन्होंने वही फिल्में लीं जिसमें उन्हें अपने काम से समझौता ना करना पड़े। अपने गीतो की रचना के बारे में उनका कहना है

"मुझे फिल्म में निर्देशक द्वारा दी गई परिस्थिति एक चुनौती की तरह लगती है। मैं अपने आप को चरित्रों और घटनाक्रमों के बीच रखता हूँ। उन हालातों को अपनी ज़िदगी के अनुभवों से जोड़ता हूँ और इस तरह से नग्मा हौले हौले साँस लेने लगता है। वैसे भी सृजन स्वतःस्फूर्त होता है। हम चाह कर कुछ बाहर नहीं निकाल सकते।"

फिल्म के इसी गीत को लीजिए।  गीत के मुखड़े में संदीप लिखते हैं

रात मुझे ये कहकर चिढ़ाए
तारों से भरी मैं तू है अकेली हाए

भई वाह! रात का उपालंभ देकर नायक को प्रणय के लिए प्रेरित करने की सोच और उपजे बोल आज के इस शोर शराबे वाले दौर में अद्भुत हैं

वैसे तो फिल्म 'साहब बीवी गैंगस्टर' में पाँच अलग अलग संगीतकारों को मौका मिला है पर इस गीत की धुन बनाई है नवोदित संगीतकार अभिषेक रॉय ने। मुख्यतः गिटार और तबले का प्रयोग करते हुए अभिषेक ने इस चुहल भरे रूमानी नग्मे को मजबूत आधार दिया है। इस गीत की गायिका श्रेया घोषाल के लिए ये साल कमाल का रहा है। मात्र सताइस साल की उम्र में ही श्रेया कई राष्ट्रीय और फिल्मफेयर पुरस्कारों को अपनी झोली में डाल चुकी हैं। इस गीत में भी उनकी आवाज़ की खनक दिल के तारों को झंकृत करने के लिए काफ़ी रही है।

तो आइए सुनते हैं इस गीत को...


रात मुझे ये कहकर चिढ़ाए
तारों से भरी मैं तू है अकेली हाए
कानों से मैं जली जली जाऊँ
आज रुको तो बली जाऊँ

क्या कहूँ, बोलो ना, क्या सुनूँ बोलो ना
रातों की हरकतों को तुम भी समझो ना
बातों की हरकतों को तुम भी समझो ना
शैतानियाँ ये रोज़ दिखाए
ऐसा कुछ करो कि रात लजाए

क्या कहूँ, बोलो ना, क्या सुनूँ बोलो ना
इस दिल की करवटों को तुम भी समझो ना
साँसों की हसरतों को तुम भी समझो ना
बेताबियाँ रात जगाए
ऐसा कुछ करो कि होश उड़ जाए

रात मुझे ये कहकर चिढ़ाए
तारों से भरी मैं तू है अकेली हाए
कह दो इसे ये ना इतराए
कल जो आए तो सर को झुकाए
रात मुझे..रात मुझे..



गीतों के बोलों के गिरते स्तर को संदीप स्वीकारते हैं पर भविष्य के लिए वो नाउम्मीद नहीं हैं। वे मानते हैं कि ऐसे दौर पहले भी आते रहे हैं और इन्हीं के बीच से एक नई धारा निकलेगी जो अच्छे बोलों को वापस लौटा लाएगी। संदीप जी की ये सकरात्मक सोच फलीभूत हो, हम जैसे संगीत प्रेमी तो यही कामना कर सकते हैं।
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10 टिप्पणियाँ:

रंजना on फ़रवरी 21, 2012 ने कहा…

पहली बार सुना यह गीत...

वाकई मनमोहक कर्णप्रिय है...

आप न सुनवाएं तो कई गीत अनसुने ही रह जाएँ...

आभार..बहुत बहुत आभार...

प्रवीण पाण्डेय on फ़रवरी 21, 2012 ने कहा…

अहा, सुन्दर बोल, संगीत और स्वर...

Prashant Suhano on फ़रवरी 21, 2012 ने कहा…

ये गीत मेरा भी पसंदीदा रहा है.. जब मैनें इसे पहली बार सुना था तभी अपने मोबाइल पर 'Save' कर लिया था.. बहुत ही अच्छा लिखा है इसे संदीप नें...

induravisinghj on फ़रवरी 22, 2012 ने कहा…

wow!!!!!!!!!beautiful song........

Dayanand Sahu ने कहा…

Dear Sir,

Every time, I feel your post makes me very very excited & cheerful.

Thanking U a lot.

Dayanand Sahu

Jagdish Arora on फ़रवरी 26, 2012 ने कहा…

Many persons very easily say that songs of present time are noise and i always say that it is not there. There are writer and musicians who are extremely talented. I watched Rock star yesterday on TV and some songs , their lyrics and music was so touching. These people need to log on to your site for some of the insight.

Sandeep Nath on फ़रवरी 27, 2012 ने कहा…

Bhai......aap geeton ke mahatva aur upyogita ko samajh rahe hain.......saadhuwaad

Manish Kumar on मार्च 04, 2012 ने कहा…

रंजना जी, प्रवीण,प्रशांत, इंदु, दयानंद साहू आप सब को गीत पसंद आया जान कर खुशी हुई।

रंजना जी आज के दौर के ऐसे मधुर गीतों को आप जैसी सुधी श्रोताओं के सम्मुख रखना वार्षिक संगीतमालाओं का उद्देश्य रहा है।

Manish Kumar on मार्च 04, 2012 ने कहा…

अरोड़ा सर ..आपने मेरे दिल की बात कह दी। अच्छे गीतों को रचने वाली प्रतिभा आज भी हमारे बीच है। जरूरत है उन्हें बढ़ावा देने की। एक शाम मेरे नाम पर पिछले छः सालों से मेरी यही कोशिश रही है कि आज के शोर शराबे के बीच भी जो कुछ अच्छा हो रहा है उसे अच्छा संगित सुनने वाले श्रोताओं तक पहुँचाया जा सके।

Manish Kumar on मार्च 04, 2012 ने कहा…

संदीप जी बहुत बहुत धन्यवाद कि आपको मेरा ये प्रयास अच्छा रहा। मुझे आशा है कि भविष्य में भी आपकी लेखनी से सार्थक व काव्यात्मक गीतों का प्रवाह बना रहेगा।

 

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